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श्री गंगा जी की आरती

ॐ जय गंगे माता, श्री गंगे माता ।
जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता ॥
जय गंगे माता ॥1॥

चन्द्र सी जो तुम्हारी जल निर्मल आता ।
शरण पड़े जो तेरी, सो नर तर जाता ॥
जय गंगे माता ॥2॥

पुत्र सगर के तारे सब जग को ज्ञाता ।
कृपा दृष्टि तुम्हारी त्रिभुवन सुख दाता ॥
जय गंगे माता ॥3॥

एक ही बार जो तेरी शरणागति आता ।
यम की त्रास मिटाकर परमगति पाता ॥
जग गंगे माता ॥4॥

आरती मात तुम्हारी जो जन नित्य गाता ।
अर्जुन वहीं सहज में मुक्ति को पाता ॥
जय गंगे माता ॥5॥

ओउम जय गंगे माता ।